माफ़ी - “A Sincere Regret”


हममें से अधिकांश को माफ़ी मांगना कठिन लगता है। सबसे पहले, इस बात पर अंतहीन बहस होगी कि गलती किसकी थी या समस्या की शुरुआत किसने की थी। बस यही राग अलापते रहते हैं कि पहले गलती किसने की। पछतावा और अफ़सोस रिश्ते का उतना ही हिस्सा हैं जितना प्यार, देखभाल,और चिंता। यहां तक कि तनावपूर्ण क्षणों में तीखी टिप्पणियां जैसे छोटे-मोटे अपराध भी अफसोस व्यक्त करने में हमारी असमर्थता के कारण रिश्ते को नष्ट करते हैं। क्षमायाचना हमारे द्वारा किए गऐ कृत्यों को सुधार सकता है। बेशक यह सही ढंग से और सही समय पर किया जाना चाहिए।

न्याय की तरह, देरी से मांगी गई माफ़ी और प्रायश्चित को एक्सेप्टेंस नहीं मिलती हैं। माफी का समय महत्वपूर्ण है।  चोट पहुंचाने वाला व्यक्ति चोट पहुंचाने का समय चुनता है।  लेकिन माफ़ी इंतज़ार नहीं कर सकती, यह तेज़, संक्षिप्त और सटीक होनी चाहिए। व्यक्ति को माफ़ी में अपराधबोध, ईमानदारी और इरादा देखना चाहिए। सच्ची माफ़ी बिना शर्त के होती है और उन परिस्थितियों के बारे में स्पष्टीकरण की कोई आवश्यकता नहीं होती जिनके कारण अपराध हुआ। “अगर और लेकिन” शब्द का माफी में कोई स्थान नहीं है क्योंकि यह इसके उद्देश्य को ही नष्ट कर देगा। मुझे खेद है कि मैंने आपके साथ अभद्र व्यवहार किया था, इससे आप सामने वाले की माफी को स्वीकार कर लेते हैं, और इसके बजाय मुझे खेद है यदि मैंने आपके साथ अभद्र व्यवहार किया, इससे भावनाएं खत्म हो जाएंगी और चोट और भी अधिक बढ़ सकती है। एक घटिया, ख़राब शब्दों वाली माफ़ी अपराध से अधिक नुकसान पहुंचा सकती है। माफी से व्यक्ति को यह एहसास होना चाहिए कि आपको वास्तव में खेद महसूस हो रहा है। इसमें वास्तविक पश्चाताप व्यक्त होना चाहिए। माफी‌ मांग लेने से आप अपने आने वाले भविष्य को बेहतर बनाते हैं। हमें माफी को स्वीकार करना और देना अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानना चाहिए। 

“Never ruin a apology with an excuse”- Benjamin Franklin 

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