कोजागरा 🌺
सखि हे साओन मे बुनझीसी
पिया संग खेलब पचीसी ना...🌸
कोजागरा मिथिला क्षेत्रक पारंम्परिक लोकपर्व अछि आ आश्विन मासक शरद पूर्णिमाक राति नवविवाहिताक परिवार द्वारा विशेष रूप सँ बहुत उत्साह सँ मनाओल जाइत अछि, गाम मे मखान आ पान बाँटल जाइत अछि आ एहि अवसर पर किछु अनुष्ठान सेहो कयल जाइत अछि।
दिवाली स पहिने देवी लक्ष्मी क पूजा करबाक शुभ समय अछि, देवी लक्ष्मी क अवतार शरद पूर्णिमा क दिन भेल छल, मानल जाइत अछि जे देवी लक्ष्मी पृथ्वी क परिक्रमा करैत छथिन आ अपन भक्त के दुख स मुक्ति दैत छथि आ सुस्वास्थ्य क आशीर्वाद आ धन वरदान मे देल जाइत अछि।
कोजागरा मुख्यतः मिथिलांचल के मैथिल समुदाय में मनाओल जाइत अछि, नव विवाहित वर-वधू के लेल कोजागरा के पावनि के विशेष महत्व छैक ।
कोजागरा के दिन साँझ में उत्सव आ खुशी के माहौल रहैत अछि।
कोजागरा के दिन धोती आ पाग पहिरा वर कें तैयार कयल जाईत अछि, पाग के सरल शब्द में पगड़ी कहल जाईत अछि, मिथिला क्षेत्र में पाग सम्मान के प्रतीक मानल जाइत अछि। कोजागरा दिन पाग के विशेष महत्व छैक, किएक पाग वर के सुंदरता में वृद्धि करैत छैक। पाग वर द्वारा विशेष अवसर पर पहिरल जाईत अछि।
कोजागरा दिन वर पक्ष ओतय कनिंया ( वधु) पक्ष के तरफ स पर्याप्त संख्या में सनेस (भार )भेजल जाइत अछि। कोजागरा दिन दही, धान, पान, सुपारी, मखान , चांदी स बनल कछुआ, मछली, कौड़ी के साथ वर के चुमान कएल जाए छैक। घर के बुजुर्ग सब वर-वधू के सुखद वैवाहिक जीवन के मंगलकामना करैत छैक।
कोजागरा पूजा के बाद मखान, पान, दही-चुरा आ विभिन्न प्रकार के मिठाई परिवार के सदस्य आ गाम के लोक के बीच बांटल जाईत अछि।
कोजागरा के दिन प्रदोष काल में देवी लक्ष्मी के विशेष पूजा के प्रावधान अनादि काल स प्रचलित अछि ।
मिथिलांचल में मैथिली लोकगीत के विशेष महत्व अछि। मैथिली लोकगीत सब ठाम प्रसिद्ध अछि, एकर सौन्दर्य आ मिठास के वर्णन शब्द में नै कयल जा सकैत अछि...मिथिला प्रांत में शुभ पावनि दिवस पर समर्पित मैथिली लोकगीत के गायन स महिला सब पूरा पर्यावरण में आनन्द अनैत छथि। कोजागरा दिन मैथिली लोकगीत के किछु बोल -
बौआ के छियनि कोजगरा हे....
पूर्णिमा के राति
कथी के जूत्ता कथी के छत्ता
कोने खराम चढ़ि चलता हे
पूर्णिमा के राति
सोने के जुत्ता रूपे के छत्ता
झनुकी खराम चढ़ि चलता हे
पूर्णिमा के राति
कथि के थारी, कथी के कौड़ी
किनका संग खेलता पचीसी हे....

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